हाथी से दांत ,
घड़ियाल से आंसू ,
उधार चाहिए !
जय हो भक्तों,
हमको ऐसी ही ,
सरकार चाहिए !
_________________ "मैं दूर हूँ राजनीति से .. दूर .... बहुत दूर !" इस एक वाक्य की व्याख्या मुझे ही करने दीजिये _ कारण और परिणाम भी मैं ही ख़ुलासा करुँगी.... चाहे , सिलसिलेवार न सही !
___________ जब आध्यात्म - योग -धर्म -दर्शन - साहित्य चुना ,तब राजनीति के लिए स्थान ही नहीं रहा ,यदि ये कह दूँ तब एक सच होगा :)
____________ दूसरा सच ये की नेता - पुलिस - पत्रकार की छवि उनके कारनामों की वजह से जितनी धूमिल हुई , इस वजह से भी उस राह को ख़ुद के लिए मुनासिब नहीं समझा .... की कहीं साबका ना पड़ जाए !
____________ मौके की नज़ाक़त को देखते हुए ,हमें अपनी प्राथमिकता तय कर लेनी चाहिए ! इसका ये तात्पर्य कदापि नहीं की हम मौकापरस्त हो जाएं :)
_________ मैं किसी पार्टी की नहीं ,मेरा कोई नेता नहीं ----- पर देश मेरा है ,अधिकार मेरे हैं , उसीके तहत कुछ फर्ज़ और फ़राइज़ मेरे हैं ! मुझे याद है .... की देशहित में मै क्या कर सकती हूँ ,आप भी याद रखिये !
जारी ...
___________ डॉ .प्रतिभा स्वाति
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