शुक्रवार, जनवरी 22, 2016

धुंध ..

 धुंध के पार 
 सुकून का विस्तार
 सदाबहार
---------  हाइकू : डॉ.प्रतिभा स्वाति






--------------------------------------------------- इन  दिनों शीशे की दीवार है उस कोहरे के और मेरे दरमियान . सातवी मंज़िल पर ये फ्लैट कई बार मुझे भ्रम में डाल देता है , क्या मैं बादलों के गाँव में हूँ ?

मंगलवार, जनवरी 05, 2016

my e-book: बहा काजल

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 बहा काजल,

  कुछ यादें हैं तेरी,

 रातें अँधेरी!

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