आज बड़े दिन बाद घर लौटी तो कुछ बदला - बदला सा लगा . शायद गार्ड या गनमेन बदल गया .... जाने मेनगेट पहले वाला नही रहा ,ऐसा "मुझे " लगा ! हो जाता है कई बार . कई बार छोटी -सी बात सबको पता होती है , सिवाय आपके . मुझे कई बातें या जानकारी या खबर कह लीजिये ज़रा देर से मालूम होती हैं .
हाँ तो मै घर तक जब पहुंची तब दरवाज़ा खोलने में दिक्कत आई , चाभी तो वही थी ... सही थी तो क्या ताला बदल गया है ? मेरी नेम प्लेट कहाँ है ... ये एड्रेस पहले वाला ही है क्या ? वो मेरे सब पड़ोसी क्या हुए ? और स्टाफ़ ? बगीचा वही है अलबत्ता फूल कुछ कम से लग रहे हैं .
हाँ भई .... ये मामला घर का नहीं ब्लॉग का है ..... कहाँ है G + की ID और पेज ? कोई बताए मुझे . बड़ी मुश्किल से ब्लॉग खुला और पोस्ट का ऑप्शन मिला ..... पर कविताई का मूड चौपट है .
------------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
हाँ तो मै घर तक जब पहुंची तब दरवाज़ा खोलने में दिक्कत आई , चाभी तो वही थी ... सही थी तो क्या ताला बदल गया है ? मेरी नेम प्लेट कहाँ है ... ये एड्रेस पहले वाला ही है क्या ? वो मेरे सब पड़ोसी क्या हुए ? और स्टाफ़ ? बगीचा वही है अलबत्ता फूल कुछ कम से लग रहे हैं .
हाँ भई .... ये मामला घर का नहीं ब्लॉग का है ..... कहाँ है G + की ID और पेज ? कोई बताए मुझे . बड़ी मुश्किल से ब्लॉग खुला और पोस्ट का ऑप्शन मिला ..... पर कविताई का मूड चौपट है .
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