शनिवार, दिसंबर 28, 2013
गुरुवार, दिसंबर 26, 2013
मंगलवार, दिसंबर 24, 2013
बाँट देती हूँ / अक्षर - अक्षर
________________ इस पोस्ट में fb का स्क्रीन केप्चर किया है !
मुझे मालूम है / एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग fb पर है ! समन्दर की तरह विशाल ! मेरा वज़ूद वहाँ इक बूंद जैसा है ! लेकिन मुझे कतई अफ़सोस नहीं ! ये मेरा दम्भ नही मेरा दायित्व बोध है की मै उस समन्दर में सीप के मोती की मानिंद रहूँ ! मुझे
ब्लॉग तो वो बगिया है / जहाँ का हर फूल महकता है !और fb पर उस महक की दरकार है,ये उस पाठक का हक़ है और लेखक का फ़र्ज़ !
---------" इसलिये / गढ़ती हूँ इबारत !
---------- बाँट देती हूँ / अक्षर - अक्षर ! "
-------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
सोमवार, दिसंबर 23, 2013
बाल - साहित्य
कहाँ गए / वो कथा - कहानी ?
खो गए / बूढ़े , दादी - नानी !
परी - कथा को , सुनते बच्चे !
स्वप्न , परी के बुनते बच्चे !
विज्ञान जा पहुंचा घर -घर !
मोबाईल /टी.वी./ कम्प्यूटर !
----------------------------------- ये मेरी एक लंबी -सी कविता है ! जिसे ' नईदुनिया ' ने प्रकाशित किया ! जब भी अवसर मिला उसे स्केन करके आप तक पहुँचाऊँगी !बाल - साहित्य मेरा प्रिय विषय रहा है / मैने ख़ूब लिखा ! एक बाल - उपन्यास भी ! जिसे स्वदेश ने अपनी पत्रिका ' दखल ' में फिर से प्रकाशित किया !
---------------------------------
----- डॉ . प्रतिभा स्वाति
शुक्रवार, दिसंबर 20, 2013
गुरुवार, दिसंबर 19, 2013
मंगलवार, दिसंबर 17, 2013
लालटेन /गाँव
लालटेन / कंदील !
नहीं झुटपुटाती साँझ !
अब कहाँ उठता है धुंआ ?
घर की चिमनियों से ?
चूल्हों से / सिगड़ियों से ?
चौपालों पे चिलम फूंकते लोग ?
दोपहर में ढोलक को थाप देती ,
' बुलव्वा ' में ठठाती औरतें ?
कहाँ रम्भाती है गैय्या ?
कहाँ रहे वो पीपल ?
आंगन में फ़ुदकती गौरैय्या ?
उफ़ / शहर में जन्मी !
शहर में पली -बढ़ी -पढ़ी !
एक बार गाँव क्या देख आई !
देहाती हो गई ?
नहीं / एक पूरा गाँव ,
तमाम संस्कार और माधुर्य लिये ,
मुझमे / तुममे / हम सबमे ,
हर वक्त / साँस लेता है !
जब भी / घुटने लगे दम !
पाखंड और आडम्बर लिए ,
इस सभ्यता से / आधुनिकता से !
जाना / उस गाँव ज़ुरुर जाना !
जीने के लिये / जीवन के लिए !
असमय आए वार्धक्य में ,
लौटने को मचलते / मासूम
निर्दोष बचपन के लिए !
-------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
सोमवार, दिसंबर 16, 2013
रविवार, दिसंबर 15, 2013
अरमान
दिल के किसी कोने में !
दबी चिंगारी की तरह ,
मिलते ही मौका ,
अरमान / सुलगते हैं !
सभीके के होते हैं !
पर / पूरे कब होते हैं ?
ये / धधकते हैं !
और / हम / रोते हैं !
पालते हैं / जतन से !
पर ये / नहीं लौटाते ,
सुकून / चैन / करार !
इस आग़ में / सब स्वाहा !
इसी आग़ से / बहता है ,
दर्द का दरिया / समंदर !
हर दिल के अंदर !
और हम / देखते हैं ,
रोज़ / तमाशा !
आग़ / पानी का !
ख़ुद की कहानी का !
------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
शनिवार, दिसंबर 14, 2013
शुक्रवार, दिसंबर 13, 2013
गुरुवार, दिसंबर 12, 2013
बुधवार, दिसंबर 11, 2013
me & my animated haiga
me & my scanig :)
एक पीढ़ी जो 'हाइकू ' गढ़ती रही ! क़िताब / पत्रिका और अख़बार के पन्नो पर ही जन्मी , फलीफूली और समाप्त हो गई ! मै रविन्द्रनाथ ठाकुर वाली जमात की बात कर रही हूँ ! १९१९ में वही तो अपनी जापान यात्रा k बाद / बंगला में हाइकू की सौगात लाए थे भारत के लिये !
और मुझे ख़ुशी हुई जब मैने ' एनिमेटेड हाईगा ' बनाया और indian haiku hystory में
' आधुनिक हाईगा ' k नाम से इसे स्थापित किया !
' आस्था ' ने मुझे पुरस्क्रत किया / एक गैर साहित्यिक ,सामजिक संस्था / आभार !
---------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
एक पीढ़ी जो 'हाइकू ' गढ़ती रही ! क़िताब / पत्रिका और अख़बार के पन्नो पर ही जन्मी , फलीफूली और समाप्त हो गई ! मै रविन्द्रनाथ ठाकुर वाली जमात की बात कर रही हूँ ! १९१९ में वही तो अपनी जापान यात्रा k बाद / बंगला में हाइकू की सौगात लाए थे भारत के लिये !
और मुझे ख़ुशी हुई जब मैने ' एनिमेटेड हाईगा ' बनाया और indian haiku hystory में
' आधुनिक हाईगा ' k नाम से इसे स्थापित किया !
' आस्था ' ने मुझे पुरस्क्रत किया / एक गैर साहित्यिक ,सामजिक संस्था / आभार !
---------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
मंगलवार, दिसंबर 03, 2013
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