हाइकू / तांका / सेदोका / चोका या फिर सॉनेट ही क्यूँ न लिखूं --------- सब काव्य ही के चेहरे हैं :)
कदम- दर -कदम देश तरक्की कर रहा है ! और हालात हैं की दिनोदिन गर्त से रूबरू हो रहे हैं ! आख़िर कहाँ हम गलती कर रहे हैं ? कहाँ हो रही है चूक ?
-------------- असलियत जो भी हो ! वजहें जो भी हों ! हम अपने वतन से मोहब्बत के जज़्बे को दिल में धडकन की तरह संजोए हैं !
---------------------------------- जयहिंद
क्या ये चित्र हमारी जिज्ञासा को हवा नहीं देता ? की हम इतिहास के उन प्रष्ठों को पलटकर देखें की आखिर उनमें / कौनसी कहानी करवटें ले रही है !
_________________ जयहिंद
___________जब भी 3 लाइंस में 17 अक्षर पिरोए जाते हैं / वह हाइकू है ! अर्थात बात पूरी नहीं होती , पर उसकी शुरुआत होती है ! एक दिशा तय होती है :)
.....और तब ...मैं चाहकर भी / लिख नहीं पाती ....
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