शुक्रवार, अप्रैल 29, 2016
गुरुवार, अप्रैल 28, 2016
रिश्वत...
my e-book: न्यायालय में रिश्वत:
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________________ जी हाँ , जहाँ से हम न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं ,वहां खुलेआम होती है रिश्वतखोरी .
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________________ जी हाँ , जहाँ से हम न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं ,वहां खुलेआम होती है रिश्वतखोरी .
बुधवार, अप्रैल 27, 2016
मंगलवार, अप्रैल 26, 2016
रविवार, अप्रैल 24, 2016
वो .... जो तनहा था
तेरे मेरे दरमियाँ केवल , इक यकीन का रिश्ता था !
मत तोड़ना तू इसको , मैंने सौ बार कहा था !
यकीनन ये दीवार थी ,दरमियाँ मगर शीशे जैसी !
छू नहीं पाई तुझको , दिखता हर लम्हा था !
किसके कहने पर आख़िर , तुमने उठाया था पत्थर?
बेज़ार हुए हम दोनों , गया जमाने का क्या था !
क्या करना है मुझे , अब गुलाबी कागज़ लेकर !
टूट गया वो रिश्ता , जो दिल में महकता था !
झूठ को सच मानने वालों ,अब ख़्वाब नहीं देखूंगी !
दिल से आह तो निकलेगी , ज़ख्म जो गहरा था !
क्यूँ शोर है बरपा ? पूछें हैं लोग आपस में ,
अरे मर गया कैसे ? वो...वो जो तनहा था !
_________________________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
मत तोड़ना तू इसको , मैंने सौ बार कहा था !
यकीनन ये दीवार थी ,दरमियाँ मगर शीशे जैसी !
छू नहीं पाई तुझको , दिखता हर लम्हा था !
किसके कहने पर आख़िर , तुमने उठाया था पत्थर?
बेज़ार हुए हम दोनों , गया जमाने का क्या था !
क्या करना है मुझे , अब गुलाबी कागज़ लेकर !
टूट गया वो रिश्ता , जो दिल में महकता था !
झूठ को सच मानने वालों ,अब ख़्वाब नहीं देखूंगी !
दिल से आह तो निकलेगी , ज़ख्म जो गहरा था !
क्यूँ शोर है बरपा ? पूछें हैं लोग आपस में ,
अरे मर गया कैसे ? वो...वो जो तनहा था !
_________________________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
24 अप्रेल 2016 - बुर्के पर बवाल
कुछ स्निप शॉट लेकर मैं खबरों का ख़ुलासा करूंगी . और उस फ़ेसबुक id का link भी दूंगी / thnx :)
45 मिनिट पहले डाली गई इस पोस्ट पर 40 से अधिक लोगों ने शिरकत की !आप भी तसल्ली कर लीजिये इस लिंक पर जाकर . ऐसे लोग समाज में सिर्फ़ व्देष फैलाते हैं , पुलिस को इनपे नज़र रखना चाहिए और हमें सतर्क रहना चाहिए .
https://web.facebook.com/khan.abrar101?fref=nf&pnref=story.unseen-section
इनकी भड़काऊ post का मुआयना करें !
इनसे जुड़े लोगों पर नज़र डालिए !
इन सज्जन के कुछ फ़ोटो और देके इन्हें block list में डाला जाएगा !
45 मिनिट पहले डाली गई इस पोस्ट पर 40 से अधिक लोगों ने शिरकत की !आप भी तसल्ली कर लीजिये इस लिंक पर जाकर . ऐसे लोग समाज में सिर्फ़ व्देष फैलाते हैं , पुलिस को इनपे नज़र रखना चाहिए और हमें सतर्क रहना चाहिए .
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शनिवार, अप्रैल 23, 2016
शुक्रवार, अप्रैल 22, 2016
अब हुआ मालूम मुझे ...
जब से होश सम्हाला यही सुनती आई कि ,हर सिक्के के दो पहलू होते हैं - एक तरफ फ़र्ज़ दूसरी तरफ हक़ ! और मैंने इसपर यकीन भी कर लिया :)
--------------- १९८४ से २०१६ तक मैं इसी के मुताबिक फ़र्ज़ अदा करती रही , कि हक़ मिल ही जाएँगे ! आज नहीं तो कल . देर होगी अंधेर नहीं . घुटना पेट को ज़ुरूर झुकेगा .मगर अफ़सोस ...... ऐसा कुछ भी नहीं हुआ !
______ तब मैंने 'मन का धन ' करने के लिए बहुत सर्वे और सलाहें बटोरीं ....पर वही - ढाक के तीन पात ....न -न मैं हारी नहीं हूँ !एक बात मगर अब समझ आ गई है - फ़र्ज़ अदा करने पर हक़ अगर हासिल ना हो तो , बस दो ही option हैं ---------- हक़ छोड़ दो , या छीन लो :)
________ ३० साल तक हक़ छोड़ती आई माँ ने अब जाके ये निर्णय लिया की वो अपने हक़ छीनकर हासिल करेगी :)
----------- देर आयद / दुरुस्त आयद :)
"फ़र्ज़ अदा करने वालों ......हक़ के हासिलात भी जुरुरी हैं ;) "
_______ डॉ . प्रतिभा स्वाति
--------------- १९८४ से २०१६ तक मैं इसी के मुताबिक फ़र्ज़ अदा करती रही , कि हक़ मिल ही जाएँगे ! आज नहीं तो कल . देर होगी अंधेर नहीं . घुटना पेट को ज़ुरूर झुकेगा .मगर अफ़सोस ...... ऐसा कुछ भी नहीं हुआ !
______ तब मैंने 'मन का धन ' करने के लिए बहुत सर्वे और सलाहें बटोरीं ....पर वही - ढाक के तीन पात ....न -न मैं हारी नहीं हूँ !एक बात मगर अब समझ आ गई है - फ़र्ज़ अदा करने पर हक़ अगर हासिल ना हो तो , बस दो ही option हैं ---------- हक़ छोड़ दो , या छीन लो :)
________ ३० साल तक हक़ छोड़ती आई माँ ने अब जाके ये निर्णय लिया की वो अपने हक़ छीनकर हासिल करेगी :)
----------- देर आयद / दुरुस्त आयद :)
"फ़र्ज़ अदा करने वालों ......हक़ के हासिलात भी जुरुरी हैं ;) "
_______ डॉ . प्रतिभा स्वाति
गुरुवार, अप्रैल 21, 2016
एक थी माँ ...एक थी बेटी
ये कहानी है 1984 से 2016 तक की :)
__________________________________ 1984 में जब एक माँ और बेटी खत्म हुईं तभी 1985 में दूसरी माँ और बेटी का जन्म हुआ ;) और 2016 में इनका जीवन भी समाप्त हो गया ! ओह , ये रिश्ता पूरी उम्र नहीं चलता ? चलता होगा , कई जन्मों तक चलते हैं रिश्ते ! हो सकता है यहाँ पुनर्जन्म हो माँ - बेटी का . हो सकता है ,ऐसा न हो !
______________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
__________________________________ 1984 में जब एक माँ और बेटी खत्म हुईं तभी 1985 में दूसरी माँ और बेटी का जन्म हुआ ;) और 2016 में इनका जीवन भी समाप्त हो गया ! ओह , ये रिश्ता पूरी उम्र नहीं चलता ? चलता होगा , कई जन्मों तक चलते हैं रिश्ते ! हो सकता है यहाँ पुनर्जन्म हो माँ - बेटी का . हो सकता है ,ऐसा न हो !
______________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
बुधवार, अप्रैल 20, 2016
मोहब्बत में...
ये जो ........राह-ए-मुहब्बत है ,
इसपे.... हरकोई चल गया है !
साथ....... बिरले रहते हैं, कोई
पीछे कोई आगे निकल गया है!
________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
इसपे.... हरकोई चल गया है !
साथ....... बिरले रहते हैं, कोई
पीछे कोई आगे निकल गया है!
________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
रविवार, अप्रैल 17, 2016
बेवकूफ बनना मेरी मज़बूरी है ....
इसमें अचम्भित होने जैसा कुछ भी नहीं !
____________________
अंतर में , निरंतर
जब भी / एक भाव ,
बहता है !
शेष कुछ भी / कभी
विशेष
नहीं रहता है !
वही भाव और अभाव !
बन जाता है स्वभाव !
कहानी हो , गीत हो !
मौन हो , बातचीत हो !
लाख हों ,तर्क -वितर्क !
पर नहीं पड़ता फ़र्क !
माँ , जो तब, ज़िद पे
बहलाती थी !
उतने सारे झूठ वो ,
कहाँ से लाती थी ?
सीखा होगा , उन्होंने
अपनी माँ से !
बेटी जानती है झूठ
आया कहाँ से !
इस झूठ को , माँ
भूल जाती है जब !
सच समझा देती है
बड़े हो गए हो अब !
लेकिन सच ,सचमुच
समझ नहीं आता है !
बूढ़े माँ- बाप को बच्चा
बेवकूफ़ बनाता है !
बस यहाँ मेरी बात
अब पूरी हो चुकी है !
बेवकूफ बनना मेरी
मज़बूरी हो चुकी है !
_____________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
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अंतर में , निरंतर
जब भी / एक भाव ,
बहता है !
शेष कुछ भी / कभी
विशेष
नहीं रहता है !
वही भाव और अभाव !
बन जाता है स्वभाव !
कहानी हो , गीत हो !
मौन हो , बातचीत हो !
लाख हों ,तर्क -वितर्क !
पर नहीं पड़ता फ़र्क !
माँ , जो तब, ज़िद पे
बहलाती थी !
उतने सारे झूठ वो ,
कहाँ से लाती थी ?
सीखा होगा , उन्होंने
अपनी माँ से !
बेटी जानती है झूठ
आया कहाँ से !
इस झूठ को , माँ
भूल जाती है जब !
सच समझा देती है
बड़े हो गए हो अब !
लेकिन सच ,सचमुच
समझ नहीं आता है !
बूढ़े माँ- बाप को बच्चा
बेवकूफ़ बनाता है !
बस यहाँ मेरी बात
अब पूरी हो चुकी है !
बेवकूफ बनना मेरी
मज़बूरी हो चुकी है !
_____________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
गुरुवार, अप्रैल 07, 2016
शनिवार, अप्रैल 02, 2016
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