----------- ये जो चित्र देख रहे हैं आप , इसके बारे में बहुत सारी जानकारी मुझे है :) जब मैं हाइकूकार होती हूँ तो मुझे लगता है ,ये मेरे दादा की तरह हैं .क्यूंकि आज हाइकू जगत में जितने भी पितृपुरुष हैं , उनकी कुंठाएं उन्हें , पूर्वाग्रह से मुक्त नहीं होने देतीं !
------ इसकी वज़ह ?
__________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें