लिखो कवि
लिखो कवि !
तुम लिखते जाओ !
लिखने की कीमत है !
शब्द के साथ ,
न्याय हो /और अर्थ,
दिखने की कीमत है !
हे ! विधाता !
ये ,जो सियाही है ,
इसे / खौला दे !
उबाल दे !
कवि / लिखे आज ,
और /ज़माना,
कई सदी तक ,
मिसाल दे !
---------------------- डॉ .प्रतिभा स्वाति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें