__________ वो जो छोटी लकीर और बड़ी लकीर का क़िस्सा है .... खत्म ही नहीं होता !जीवन इन लकीरों के साथ इस से उस पार हुआ जाता है .....
________________ जब भी मुझे अपनी मुश्किलों की लकीर बड़ी लगी , मै देश के हालात पर जो लकीर है उसे देख लेती हूँ , जो लकीर निचले तबके की भूख पर है उसे , जो लकीर आज स्त्री की अस्मत पर है , जो लकीर आज सत्ताई किरदारों पर हैं .... जो लकीर ...
_____________ ओह ! अनगिनत लकीरें ,वो भी बड़ी -बड़ी - बहुत बड़ी , तब मुझे अपनी लकीर एक बिंदु -सद्रश प्रतीत होने लगती है :)
______ तो क्या दर्द तुलनात्मक है ?
_________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
________________ जब भी मुझे अपनी मुश्किलों की लकीर बड़ी लगी , मै देश के हालात पर जो लकीर है उसे देख लेती हूँ , जो लकीर निचले तबके की भूख पर है उसे , जो लकीर आज स्त्री की अस्मत पर है , जो लकीर आज सत्ताई किरदारों पर हैं .... जो लकीर ...
_____________ ओह ! अनगिनत लकीरें ,वो भी बड़ी -बड़ी - बहुत बड़ी , तब मुझे अपनी लकीर एक बिंदु -सद्रश प्रतीत होने लगती है :)
______ तो क्या दर्द तुलनात्मक है ?
_________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
आभार / तहेदिल से , कुसुम जी :)
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