बुधवार, जून 10, 2015

कहते हैं किनारे .....


























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 आजकल कहते हैं किनारे ....
रोज़ ही मज़धार के क़िस्से !
भंवर को भरमाया  उसीने ....
न कुछ आया उनके हिस्से !
_________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति

सोमवार, जून 08, 2015

आचरण जब .....

























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आचरण जब , दम्भ का पर्याय हो ...
तब , स्वाभिमान की बात मत करें !
बेमौसम बरसते बादल से फस्ल की...
अकाल या किसान की बात मत करें !
__________________________ डॉ. प्रतिभा  स्वाति
















रविवार, जून 07, 2015

दोहराएगी ....तारीख मुझे



















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 आरज़ू - तमन्ना -  ख्वाहिश की गठरी ,
  खोजती  है , खुलने  के  बहाने  कुछ  !
 दोहराएगी  ज़ुरूर , तारीख  मुझको ,
  बस  गुज़र  जाने  दे , ज़माने कुछ :)
________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति




शनिवार, जून 06, 2015

ख़्वाब.....













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 ख़्वाब आते हैं , रह - रह  कर ,
देते हैं हक़ीकत को बहाने कुछ !
देखके चमक मुस्तकबिल तेरी,
मेरा माज़ी लगा मुस्कुराने कुछ !
________________________ डॉ. प्रतिभा स्वाति
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