शनिवार, अप्रैल 04, 2015

मिटता नहीं यथार्थ.....

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कुछ सुख /और कुछ __
सुख के भ्रम :)
जीवन में हमने पाले हैं !
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लाख सुनहरी प्रष्ठभूमि 
पर / लिखे गए अक्षर ,
उनपर काले हैं !
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सौ - सौ रंग यहाँ
सुख और दुःख के ,
सचमुच सभी निराले हैं !
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मिटता नहीं यथार्थ ,
 छुप जाता है / उसपे ,
 सघन भरम के जाले हैं !
______________________ डॉ.प्रतिभा स्वाति
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