मंगलवार, जनवरी 21, 2014

3 हाइकू

     फूल / ख़ुशबू !
  रोज़  होते रूबरू !
    ज्यूँ मैं और तू !
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आज या कल !
रोज़  की हलचल !
न हो विकल !
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मै सोचती हूँ !
क्यूँ मैं चुप रहूँ ?
कहूँ न कहूँ !
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                        देखा जाए तो लेखक बड़ा हो या छोटा !
वह  सरोवर के किनारे मनसूबे  बनाता वो नायक है / जिसकी  लेखनी / कागज़ को तालाब समझके , बेताब हो उठती है / यूँ ही , शब्दों के कंकर उछलते है / अनायास !
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-- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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शनिवार, जनवरी 18, 2014

भरम ( भ्रम )



 या  ख़ुदा / हम जब भी / इबादत करते हैं !
जाने क्यूँ / मोहब्बत  का गुमाँ  होता  है !
 तो फिर ----------- इस ज़माने को ,क्यूँ 
मोहब्बत में इबादत का भरम नहीं होता ?
--------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति

बुधवार, जनवरी 15, 2014

धुंध


इस  सर्द सुबह को ,
हो न हो / शिकायत 
 पर / अचंभा तो है !

चांदी पे वर्क / सोने का !
ये चलन है / या 
ज़ुरूरत / या के बेबसी !
चाहे दिखावा / दम्भ ,
जो भी हो / होता आया है !

पर देखोना / कोहरे का करम !
इनायतें / ओस के मोती !
बिखरी है......... शबनम !

बादल से छनती / वो ,
चंचल / सुनहरी किरण !
उसपे / क़ुदरत ने धुंध की,
चुनर/ यूँ ओढ़ाई  है ,
जैसे / जानबूझकर ,
सोने पे / चांदी की ,
वर्क............. चढ़ाई है !
--------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति

लिखो कवि



  लिखो  कवि ! 
तुम लिखते  जाओ !
 लिखने  की  कीमत  है !

शब्द  के साथ ,
न्याय  हो /और अर्थ,
दिखने की  कीमत है !

हे ! विधाता !
ये ,जो  सियाही है ,
इसे / खौला  दे !
उबाल  दे !

कवि / लिखे  आज ,
और /ज़माना,
कई सदी तक ,
मिसाल  दे !
----------------------  डॉ .प्रतिभा स्वाति















मंगलवार, जनवरी 07, 2014

savi / my frnd



                       कुछ / मुझमें भी कमियाँ हैं !

                                      कुछ तो मेरी / आदत है !

                       शब्दों के इस महा-यज्ञ में ,

                शामिल / मेरी आयत है ! 

------------------------------------ब्लॉग पर दी कविता का ' मध्यांश 
_________________ इस ब्लॉग  

पर " अन्य विषय " के अंतर्गत मैंने


 तमाम स्मर्तियाँ संजोई हैं , ये उन्हीं में से एक है :)




_______ कई बार तकनीकी व्यवधान मुझे लिखने नहीं देते / जैसे आज !











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