शनिवार, अगस्त 20, 2016

खोज रही हूँ /समाधान !


  
ये  एक  दर्जन  आँखें  
कर रही  हैं  मुझसे  
सैकड़ों  सवाल  !

और  मैं  निरुत्तर  .....

बात  सवाल  या
जवाब  की  नहीं  
दरअसल  अहम  
वो  मुद्दा  है  जो 
उठ  रहा  है  ....

इंसानियत  का  !
इंसां  की  नीयत  का  !

इनसान  हूँ  , तो  फ़िर 
मेरा  फ़र्ज़  है , आख़िर  
देना सवालों  के   जवाब  ?

लेकिन  मैं  नहीं  देती 
दे  सकती  हूँ जवाब  !
मग़र ... अब  नहीं 
खोज  रही  हूँ ....... सिर्फ़  
.
.
.समाधान  !!!

 ______________ डॉ. प्रतिभा  स्वाति  

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