सोमवार, मई 02, 2016

दूर दो कदम ...


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 दूर दो कदम ही  , मंज़िल है !
हौसलों ने दिया ,ज़वाब अभी !

अँधेरे दूर से , डरा रहे मुझको ,
ना डूबा नहीं ! आफ़ताब अभी !
______________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति

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