तब जो भी लिखा गया / वो समय की मांग थी ?
उस समय की स्थितियां / ज़िम्मेदार थीं ?
समाज में माहौल ,उस तरह का था ?
हमारे नैतिक मूल्य ,उकसाते थे ' उस ' सृजन के लिये ?
---------------- सवाल उठाना मेरा मक़सद नहीं है :) मुझे तो बस ये जानना है कि , अब साहित्य में सृजन के पुष्प खिलते तो हैं पर उनसे फ़ैलने वाली सुरभि वैसी क्यूँ नहीं ? यदि साहित्य /समाज का दर्पण है तो --------- आईना बदल गया है ....या चेहरे....या.......या..... !!!
---------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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