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सच / कहूँ तो !
चित्र / विचित्र हैं !
रिझाते हैं / कभी
उकसाते हैं .......
जाने क्या - क्या ,
कह जाते हैं !
कई बार / हम
कहते हैं / अपने गम !
और / कई बार /ये काम ,
ये / चित्र कर जाते हैं !
जब / उनमें / आपके ,
रंग / भर जाते हैं !
कई बार/ चित्र ,
शब्द हो जाते हैं !
कहानी बन जाते हैं !
उनकी / चुम्कीय शक्ति ,
खीचती है / अपनी ओर !
महीन - सी........... डोर !
जिसका....ओर न छोर !
चित्र - शब्द / शब्द -चित्र !
ओह ! मेरी / अभिव्यक्ति !
क्यूँ ..... इतनी नाकारा है ?
कई बार ...... स्वीकारा है !
अनुभूति ...... खामोश है !
सब ........... मेरा दोष है !
लिखने पे / खुलासा होता है !
अनचाहा / अनकहा भी !
लिखने का ......... अंदाज़ !
चित्र / कई बार / छुपाते हैं ,
हलके रंगों में / गहरे राज़ !
थोड़े में कहूँ / या ज्यादा में !
बात / कह नहीं पाती हूँ !
और कहे बिना........ जब ,
मैं..........रह नहीं पाती हूँ !
तब खोजती हूँ / निगाहों से ,
अपने....... परम -मित्र को !
अभिव्यक्ति में माहिर,
अनुकूल ........... चित्र को !
--------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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