पंकज ---
------------------ सवाल , पंकज का नहीं , तमाम उन पुरुषों का है , जो उस जैसे हैं :) समाज से रुष्ट ! समाज को ठेंगा दिखाने को उद्यत ... आतुर ... तत्पर ...
क्या अंतर का खालीपन ऐसा होता है ? भीतर के बवाल से लबरेज हो जाने की परिणिति ऐसी होती है ? एक सामान्य सहज जीवन न जी पाने से उत्पन्न कुंठा ? पीड़ा को ख़ुशी में लपेटने की कोशिश ? यथार्थ से आँख मींच लेना ? एक दाह .... भभकती आग जो सब कुछ भस्म कर देना चाहती है , मगर चुपके से ! चाहे वह किसी की निर्दोष हंसी हो . चाहे किसी का बहुमूल्य वक्त . किसी की सद्भावना और सहायता का जहाँ कोई मोल नही .
पंकज को जानने वालों की राय ,उनके पक्ष में बिलकुल नहीं . मतलब हो तब ही कोई मिलता है मज़बूरी में . या कोई अनजाने ही उनकी चपेट में आ जाए तो ,हो जाती है मुलाकात .
क्या कोई इतना बुरा हो सकता है , कि लोग कतराने की हद पार कर जाएँ ? 63 साल का बन्दा अब अकेला है घर में . 2017 में पत्नी गुजर गई . बेटे ने लवमेरिज की शायद त्रिवेन्द्रम में है ,अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ ! बेटी 30 के आसपास की है ,उसकी शादी 3 साल पहले हुई थी अब तो उसका तलाक भी हो गया ,दिल्ली में जॉब कर रही है .और हमारे पात्र पंकज आगरा में लोगों को पका रहे हैं !
लोगो का कहना है ____ बहुत बोलते हैं भई ,अपने आगे किसी की सुनते ही नही ! कोई कहता है __ इतना बड़ा बकैत ,यार फ़ोन करने में डर लगता है , चिपकू है स्याला ... सठिया गया है . कोई कहता है __ अंकल झूठ बहुत बोलते ,किसी का कहना है __ निरर्थक वार्ता में पारंगत हैं पंकज और अपनी लम्बी बात के बीच में कोई बोले तो उसे गाली तक दे डालते हैं ,भला ये कहाँ का मैनर्स है ?
वैसे लोग बोलते तो सच ही है .पतले - 2 हाथ - पैर , बाहर निकला बड़ा - सा पेट , गंजा होता सिर और थोड़ा लंगड़ाती चाल वाले वे ,जब अपने आपको हैण्डसम कहें , शादी - बारात में डांस करें तब कोई कैसे झेले ? वे खाने - पीने के शौक़ीन हैं .
___________ मेरा पात्र इतना बुरा ? ना जी ना :) वे खाना अच्छा बनाते हैं , चाय बहुत ही अच्छी . सुबह 4 बजे जागते हैं . पौधों से बहुत लगाव है और..... बस :)
आप मिलना चाहेंगे पंकज से ? नहीं ? आख़िर क्यूँ नहीं ? वे आपको मिल सकते हैं वाट्सप पर और शादी डॉट कॉम पर ..... :)
------------------- ( बिना भूमिका के अपनी कहानी की शुरुआत के लिए मुआफ़ी चाहूंगी , पर {सवाल - मेरा कथा संग्रह } पात्र आपसे मुखातिब हो रहे हैं ! हर रोज एक नया किरदार ! और मैं मिल रही हूँ सबसे .... सच में )
____________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
------------------ सवाल , पंकज का नहीं , तमाम उन पुरुषों का है , जो उस जैसे हैं :) समाज से रुष्ट ! समाज को ठेंगा दिखाने को उद्यत ... आतुर ... तत्पर ...
क्या अंतर का खालीपन ऐसा होता है ? भीतर के बवाल से लबरेज हो जाने की परिणिति ऐसी होती है ? एक सामान्य सहज जीवन न जी पाने से उत्पन्न कुंठा ? पीड़ा को ख़ुशी में लपेटने की कोशिश ? यथार्थ से आँख मींच लेना ? एक दाह .... भभकती आग जो सब कुछ भस्म कर देना चाहती है , मगर चुपके से ! चाहे वह किसी की निर्दोष हंसी हो . चाहे किसी का बहुमूल्य वक्त . किसी की सद्भावना और सहायता का जहाँ कोई मोल नही .
पंकज को जानने वालों की राय ,उनके पक्ष में बिलकुल नहीं . मतलब हो तब ही कोई मिलता है मज़बूरी में . या कोई अनजाने ही उनकी चपेट में आ जाए तो ,हो जाती है मुलाकात .
क्या कोई इतना बुरा हो सकता है , कि लोग कतराने की हद पार कर जाएँ ? 63 साल का बन्दा अब अकेला है घर में . 2017 में पत्नी गुजर गई . बेटे ने लवमेरिज की शायद त्रिवेन्द्रम में है ,अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ ! बेटी 30 के आसपास की है ,उसकी शादी 3 साल पहले हुई थी अब तो उसका तलाक भी हो गया ,दिल्ली में जॉब कर रही है .और हमारे पात्र पंकज आगरा में लोगों को पका रहे हैं !
लोगो का कहना है ____ बहुत बोलते हैं भई ,अपने आगे किसी की सुनते ही नही ! कोई कहता है __ इतना बड़ा बकैत ,यार फ़ोन करने में डर लगता है , चिपकू है स्याला ... सठिया गया है . कोई कहता है __ अंकल झूठ बहुत बोलते ,किसी का कहना है __ निरर्थक वार्ता में पारंगत हैं पंकज और अपनी लम्बी बात के बीच में कोई बोले तो उसे गाली तक दे डालते हैं ,भला ये कहाँ का मैनर्स है ?
वैसे लोग बोलते तो सच ही है .पतले - 2 हाथ - पैर , बाहर निकला बड़ा - सा पेट , गंजा होता सिर और थोड़ा लंगड़ाती चाल वाले वे ,जब अपने आपको हैण्डसम कहें , शादी - बारात में डांस करें तब कोई कैसे झेले ? वे खाने - पीने के शौक़ीन हैं .
___________ मेरा पात्र इतना बुरा ? ना जी ना :) वे खाना अच्छा बनाते हैं , चाय बहुत ही अच्छी . सुबह 4 बजे जागते हैं . पौधों से बहुत लगाव है और..... बस :)
आप मिलना चाहेंगे पंकज से ? नहीं ? आख़िर क्यूँ नहीं ? वे आपको मिल सकते हैं वाट्सप पर और शादी डॉट कॉम पर ..... :)
------------------- ( बिना भूमिका के अपनी कहानी की शुरुआत के लिए मुआफ़ी चाहूंगी , पर {सवाल - मेरा कथा संग्रह } पात्र आपसे मुखातिब हो रहे हैं ! हर रोज एक नया किरदार ! और मैं मिल रही हूँ सबसे .... सच में )
____________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति
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