मंगलवार, मार्च 14, 2017

अच्छे दिन ....

गरीब का घर ...
विधवा के बच्चे !

चाँद की रोटी ...
लोरी के लच्छे !

बताइए राजन ...
बुरे कि अच्छे ?



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 और राजन चुप रह नही सकते ....  जनता हो या बैताल उसे अब भी पेड़ ही पर लटकना  है , वो भी सिर के बल :) 
कौन कहता है ... जमाना बदल गया है ....सब वही है .. वैसा ही ! भेड़ का मन है खाल ओढ़ ले तो डर जाइये और उतार दे तो पीछे हो जाइये ...


 के तो अनुकरण .... या फ़िर अंत :) बोले तो मध्यम मार्ग भी है ----- पहले  दांडी यात्रा फिर ' हे राम ' और इसी तरह ये लीलावती - कलावती की कथा चलती रहेगी .... सदा ...हमेशा ... निरंतर ! तो फिर बोलो ___ भक्तजनों .... सत्य नारायण भगवान कीईईईइ ___ जाआआआअय :)

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