सोमवार, नवंबर 28, 2016

अब .... नि:शब्द

-------------------------- अब अगर खो जाऊ मै भी कभी  ! तो मुझे,
------------------------- ज़मी पर नहीं / सितारों में तलाश करना !

पहले / फूल
शब्द हो जाते थे !
अब / शब्द
फूल बन जाते हैं !
फूल और शब्द
इक-दूसरे के हैं
पूरक /अपनी बात
कहते हैं / हंसकर !
महककर !
_______________ अब न फूल .... न शब्द .....
_______________यकबयक ......
                              मैं ... हूँ ... नि : शब्द 
____________________________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति


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