दरअसल एक ही विषय पर तमाम हाइकू एक ही व्यक्ति व्दारा लिखे जाएँ मैं इस बात के पक्ष में नहीं रही .इसके पीछे मेरी अपनी सोच और तर्क रहे ,जिससे सब सहमत हों ये कतई जुरुरी नहीं .जहाँ तक मैंने जाना हमारे यहाँ हाइकू अन्त्याक्षरी की तर्ज़ पर कई समूहों में खेला जाता रहा है फ़ेसबुक पर . तब एक विषय पर तमाम लोग अपने हाइकू प्रस्तुत करते हैं . किन्तु जब हम अकेले हैं ,हमारे पास एक विषय है जो एक हाइकू में नहीं समा रहा तब और हाइकू लिखने के बजाए 'तांका ' लिखा जाए या सेदोका . इसमें लिखने के लिए अधिक गुंजाईश हो जाती है . लेकिन तब भी अगर बात न बने , विचार बाहर बिखरे रह जाएँ तो 'चोका ' रचना ' चाहिए . निश्चय ही आकाश में सामर्थ्य असीमित है ,सब कुछ समा लेने की .फ़िर विचारों की क्या मजाल ? अनुभूतियों को सार्थक अभिव्यक्ति मिलनी ही चाहिए :) लेकिन इस बार में एक विषय पर 10 हाइकू लिख रही हूँ ,हाइकू शताब्दी के लिए आप भी लिख सकते हैं चयन समिति अवसर देगी उचित लगने पर उसे पुस्तक में प्रकाशित किया जा सकता है .अवसर आपके पास है !
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