_______________ अचानक ये मन कुछ भी फ़रमाइश क्यूँ कर बैठता है ? कल तक मैं इनकार कर रही थी _______ क्या जाना ! इतनी भीड़ ! वो आंधी और भगदड़ की ख़बरें ! 24 लोग बह गए और 10 तो जीवन से हाथ धो बैठे ! सन्यासी कह रहे हैं यदि व्यवस्था यूँ ही बनी रही तो हम वापिस चले जाएँगे ! fb से मनोज भाई उज्जैन ही के हैं , चार दिन पहले आने को पूछा था मुझसे , मैंने ख़ुशी -ख़ुशी मना किया था . फ़िर सेन सर का msg आया वे शायद राजस्थान से हैं ! उस समय उज्जैन थे , उनको भी मना कर दिया कि मैं आज ही दिल्ली से आगरा लौटी हूँ , उज्जैन का कोई इरादा नहीं है . उज्जैन से युसुफ़ ने भी इसी बारे में फ़ोन किया था और मैंने यही जवाब दिया .....
__________________ फ़िर आज सुबह से ऐसा क्या हुआ कि मैं जाने को तत्पर हूँ :) कहते हैं ना की जब बुलावा आता है तब जाने को मिलता है ! तो क्या आ गया बुलावा ? फ़िर जाना तो बनता है . माइंड सेट किया है . इसी के तहत माहौल बनाने की गरज़ से 5-7 को फ़ोन भी खड़का दिया . अरे भई उज्जैन रुकूँ कि इंदौर . बस से ही जाउंगी . कब कहाँ से मिलेगी ? सामान कम ही रखना होगा . वैसे भारी लगेज़ और टैक्सी बाज़ी मैंने पिछले दो साल से छोड़ दी है !
____________ उज्जैन यानि महाकाल की नगरी ! जहाँ के सान्दिपनी आश्रम में कृष्ण ने शिक्षा पाई ! विक्रमादित्य की नगरी !क्षिप्रा का पावन तट !
_________ सिंहस्थ यानि साधू -सन्यासियों का जमावड़ा !जनमन का उमड़ता सागर ! व्यवस्था को नकारता असंतोष का शोर ! अति व्यस्त प्रशासन ! व्यस्त पत्रकार और ..... और जाने पर ही जान पाऊँगी :)
__________ पर कोई काम हुआ हो अब तक मन ही से , जिसमें दिमाग ने दखल ना दी हो ? जब दिल और दिमाग एक साथ ,एक ही दिशा में काम करते हैं तब ' कन्फयूजन ' हो ही नहीं सकता ! ऐसे लोग बड़े मस्त - मौला , बिंदास किसिम के होते हैं ! खुलके के जीते हैं ! और कई बार ख़ाली हाथ रह जाते हैं ! तब खनकती हंसी में खोखलापन साफ़ झलकता है . अपन तो भई ऐसे ही हैं ,उनके इस जुमले का प्रभाव कम होने लगता है . लोग जो उनसे जलते थे , वही खिल्ली उड़ा जाते हैं . ऐसे लोग हमेशा भीड़ में रहते हैं पर असल जिंदगी में अकेले होते हैं . इस सब प्रपंच का निष्पक्ष सर्वे करने पर निष्कर्ष ये निकला की ________ ' चूँकि जो दिल ने कहा , दिमाग ने साथ दे दिया ." दिमाग कहे और दिल मान ले आदर्श स्थिति ये है :)
_______दिल तो बच्चे की मानिंद है ! चाँद की जानिब हाथ फैलवा ही देता है ! दिमाग जानता है , चाँद की असलियत और इन्सान की औकात या हैसियत ! दिमाग कभी चाँद नहीं मांगता ! जिसके दिमाग ने चाँद माँगा वो , चाँद तक पहुंचा . सारी दुनिया इस सच से वाकिफ़ है
_______________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति
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