शुक्रवार, अप्रैल 29, 2016

गम ही सही...



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भुला  बैठे  मुझको यहाँ, सारे  के  सारे !
याद  रखते  हैं ख़ुदको ,  हम  ही सही !

ख़ुशी  कभी किसी की होके नहीं रहती !
रास आने लगे मुझको ,गम ही सही !
________________________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति




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