सोमवार, मार्च 21, 2016

कन्हैया ...


_____________ नामकरण ... फ़िर किया जाना चाहिए ? इसी तरह शब्द हमसे और हम उनसे खेलते हैं !
उफ़ ,एक मछली और उसने इतनी गंदगी फैला दी ? तालाब के भीतर भी , और बाहर भी ?
समाज ,साहित्य , धर्म , इतिहास , मनोविज्ञान और संगीत कोई इस नाम जुड़ा है तो कोई .....ये बहस - वार्ता - खबर - विरोध - का मुद्दा दिखाई देता है , पर दरअसल ये नस्ल को चाटने आई उस घुन के होने का संकेत है ,जो  हमें नुकसान देने आई है ,और हम सचेत हो गए :)
ये मन का धन नहीं ---- हर बुराई से जन्म लेने वाली भलाई का उदाहरण बन सकता है अगर हम वक्त रहते सही फ़ैसला कर सकें तो ! 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...