___________________________आख़िर जीवन में जो कठिनाइयाँ आती हैं , उनकी शुरुआत कहाँ से होती है ? उन्हें हम शुरू करते हैं ? या हम उनका मुक़ाबला करते हैं , उनकी वज़ह कोई और होता है ?
________________ इस सवाल यहीं छोड़ दें / तब भी कठिनाई तो शेष हैं ही , उसे सुलझाने के मुद्दे तब ही खड़े होंगे ,जब हमारे मन और मस्तिष्क के आईने में उस मुश्किल का अक्स एकदम साफ हो !
_______________ क्यूंकि जो आपके लिए कठिन है , हो सकता है , मेरे लिए उतना कठिन ना हो , फलत : उसे हल करना मेरे लिए आसान होगा !बशर्ते मुझे और आपको ये मालूम हो कि मुश्किल का सही स्वरूप क्या है ?
__________________ शेष फ़िर,
_______________________ डॉ..प्रतिभा स्वाति
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