फ़रेब देने वाले ...
फरेब..........देने वाले !
खामियां गिनते रहे !
भूले से / कसीदा कब ?
किसकी शान में कहा ?
मुकर जाती है / जुबां कैसे ?
अपने ही कहे लफ़्जों से !
इबारत को दिलासा देके ,
लिखे हुए पैगाम ने कहा !
----------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
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