खुले क़िताब तब ....
जब भी खुली !
यादों की क़िताब !
कुछ फूल हंसे,
उड़ी खुशबू ,
महका मन !
और / मै / फिर से ,
कल के लिए ,
हर पल के लिए !
पोंछकर / अश्क ,
बो देती हूँ , इरादे !
कुछ हसीन वादे !
आज की क़िताब ,
कल / खुले जब !
महके फिर मन !
हंसे /आंगन !
------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
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