फूल / ख़ुशबू !
रोज़ होते रूबरू !
ज्यूँ मैं और तू !
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आज या कल !
रोज़ की हलचल !
न हो विकल !
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मै सोचती हूँ !
क्यूँ मैं चुप रहूँ ?
कहूँ न कहूँ !
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देखा जाए तो लेखक बड़ा हो या छोटा !
वह सरोवर के किनारे मनसूबे बनाता वो नायक है / जिसकी लेखनी / कागज़ को तालाब समझके , बेताब हो उठती है / यूँ ही , शब्दों के कंकर उछलते है / अनायास !
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-- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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रोज़ होते रूबरू !
ज्यूँ मैं और तू !
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आज या कल !
रोज़ की हलचल !
न हो विकल !
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मै सोचती हूँ !
क्यूँ मैं चुप रहूँ ?
कहूँ न कहूँ !
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देखा जाए तो लेखक बड़ा हो या छोटा !
वह सरोवर के किनारे मनसूबे बनाता वो नायक है / जिसकी लेखनी / कागज़ को तालाब समझके , बेताब हो उठती है / यूँ ही , शब्दों के कंकर उछलते है / अनायास !
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-- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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