फूल
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और फिर से ,
फूल मुस्कुरा दिया !
उसने खिलके कहा !
काँटों से मिलके कहा !
अय / ज़माने / ज़रा ,
अपने गिरेबाँ देखो !
कब तुमने / मुझपे किये ,
कितने अहसां देखो !
काँटों की है आदत !
फूलों की हिफाज़त !
----------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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