भोर के उन सुनहरे ,
नर्म उजालों की कसम !
साँझ के सुरमयी ,
रेशमी / उदास ,
खयालों की कसम !
अय चांदनी रात ,
तेरे चाँद से पूछ ,
मेरी इबारतें यूँ / जो
चमचमाती हैं !
उनमे सियाही/ उन
मावसी रातों की है !
जिन्हें / हर रोज़ ,
दिन में / हर
शफ्फाक़ सुबह में ,
जिया है मैने !
मेरे दिल में / जो
रौशनी है !
जानता है ख़ुदा ,
जलाके / ख़्वाब
अपनी ज़िन्दगी में ,
हरदम / यूँ ही ,
उजाला किया है मैंने !
-------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
नर्म उजालों की कसम !
साँझ के सुरमयी ,
रेशमी / उदास ,
खयालों की कसम !
अय चांदनी रात ,
तेरे चाँद से पूछ ,
मेरी इबारतें यूँ / जो
चमचमाती हैं !
उनमे सियाही/ उन
मावसी रातों की है !
जिन्हें / हर रोज़ ,
दिन में / हर
शफ्फाक़ सुबह में ,
जिया है मैने !
मेरे दिल में / जो
रौशनी है !
जानता है ख़ुदा ,
जलाके / ख़्वाब
अपनी ज़िन्दगी में ,
हरदम / यूँ ही ,
उजाला किया है मैंने !
-------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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