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रात क्यूँ ख़ामोश है ?
चाँद को क्यूँ रोष है ?
पूछिये ज़रा !
सितारे मद्धम क्यूँ हैं ?
आसमां को गम क्यूँ है ?
पूछिये ज़रा !
क्यूँ जागते हम हैं ?
आँख क्यूँ नम है ?
पूछिये ज़रा !
वो जो जिया करते हैं ,
तनहाई में अक्सर !
वो जो सिया करते हैं ,
दामन् अपना छुपकर !
हम दर्द-ए-दिल के ,
खुशमिज़ाज़ साजिन्दे !
बाद्शाहों की मानिंद ,
दिखा करते हैं अक्सर !
तुम रातों को सोने वाले ,
क्या जानो राज़ गहरे हैं !
कहने को कह डालूं लेकिन,
ख़ुद बिठाए ये पहरे हैं !
------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
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रात क्यूँ ख़ामोश है ?
चाँद को क्यूँ रोष है ?
पूछिये ज़रा !
सितारे मद्धम क्यूँ हैं ?
आसमां को गम क्यूँ है ?
पूछिये ज़रा !
क्यूँ जागते हम हैं ?
आँख क्यूँ नम है ?
पूछिये ज़रा !
वो जो जिया करते हैं ,
तनहाई में अक्सर !
वो जो सिया करते हैं ,
दामन् अपना छुपकर !
हम दर्द-ए-दिल के ,
खुशमिज़ाज़ साजिन्दे !
बाद्शाहों की मानिंद ,
दिखा करते हैं अक्सर !
तुम रातों को सोने वाले ,
क्या जानो राज़ गहरे हैं !
कहने को कह डालूं लेकिन,
ख़ुद बिठाए ये पहरे हैं !
------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
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