*****************************
कहता रहा ..... रात भर ,
घूमकर गली में दीवाना !
आसमां पर / जाने कितने ,
उधार हैं ......उसके उसपे !
तोड़ लेता है........ कुछ
सितारे यूँ ही ... लेकिन
चाँद ...वापिस नहीँ माँगा
कभी भी ...उससे उसने !
सितारे.... सजाते हैं महफ़िल
चाँद....आसमां का दिल !
कौन...... देता - लेता हैं ?
दिल ... ज़माना सारा संगदिल !
--------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
**************************************
कहता रहा ..... रात भर ,
घूमकर गली में दीवाना !
आसमां पर / जाने कितने ,
उधार हैं ......उसके उसपे !
तोड़ लेता है........ कुछ
सितारे यूँ ही ... लेकिन
चाँद ...वापिस नहीँ माँगा
कभी भी ...उससे उसने !
सितारे.... सजाते हैं महफ़िल
चाँद....आसमां का दिल !
कौन...... देता - लेता हैं ?
दिल ... ज़माना सारा संगदिल !
--------------------------------------- डॉ. प्रतिभा स्वाति
**************************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें