शनिवार, दिसंबर 06, 2014

प्राणायाम (1)



________________ अनुलोम विलोम प्राणायाम


                                                      ---------------------------------- प्रस्तुति : डॉ. प्रतिभा स्वाति

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सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। शुरुवात और अन्त भी हमेशा बाये नथुने (नोस्टील) से ही करनी है, नाक का दाया नथुना बंद करें व बाये से लंबी सांस लें, फिर बाये को बंद करके, दाया वाले से लंबी सांस छोडें...अब दाया से लंबी सांस लें व बाये वाले से छोडें...याने यह दाया-दाया बाया-बाया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं| सास लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए| और मन ही मन मे सांस लेते समय ओउम-ओउम का जाप करते रहना चाहिए|हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है| बायी नाडी को चन्द्र (इडा, गन्गा) नाडी, और बायी नाडी को सुर्य (पीन्गला, यमुना) नाडी केहते है| चन्द्र नाडी से थण्डी हवा अन्दर जती है और सुर्य नाडी से गरम नाडी हवा अन्दर जती है|थण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रेहता है| इससे हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ती बढ जाती है|


    सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। शुरुवात और अन्त भी हमेशा बाये नथुने (नोस्टील) से ही करनी है, नाक का दाया नथुना बंद करें व बाये से लंबी सांस लें, फिर बाये को बंद करके, दाया वाले से लंबी सांस छोडें...अब दाया से लंबी सांस लें व बाये वाले से छोडें...याने यह दाया-दाया बाया-बाया यह क्रम रखना, यह प्रक्रिया १०-१५ मिनट तक दुहराएं| सास लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच मे स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए| और मन ही मन मे सांस लेते समय ओउम-ओउम का जाप करते रहना चाहिए|हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है| बायी नाडी को चन्द्र (इडा, गन्गा) नाडी, और दायी नाडी को सुर्य (पीन्गला, यमुना) नाडी केहते है| चन्द्र नाडी से थण्डी हवा अन्दर जती है और सुर्य नाडी से गरम नाडी हवा अन्दर जती है|थण्डी और गरम हवा के उपयोग से हमारे शरीर का तापमान संतुलित रेहता है| इससे हमारी रोग-प्रतिकारक शक्ती बढ जाती है.

    • हमारे शरीर की ७२,७२,१०,२१० सुक्ष्मादी सुक्ष्म नाडी शुद्ध हो जाती है|
    • हार्ट की ब्लाँकेज खुल जाते है|
    • हाय, लो दोन्हो रक्त चाप ठिक हो जायेंगे|
    • आर्थराटीस, रोमेटोर आर्थराटीस, कार्टीलेज घीसना ऐसी बीमारीओंको ठीक हो जाती है|
    • टेढे लीगामेंटस सीधे हो जायेंगे|
    • व्हेरीकोज व्हेनस ठीक हो जाती है|
    • कोलेस्टाँल, टाँक्सीनस, आँस्कीडण्टस इसके जैसे विजतीय पदार्थ शरीर के बहार नीकल जाते है|
    • सायकीक पेंशनट्स को फायदा होता है|
    • कीडनी नँचरली स्वछ होती है, डायलेसीस करने की जरुरत नही पडती|
    • सबसे बडा खतरनाक कँन्सर तक ठीक हो जाता है|
    • सभी प्रकारकी अँलार्जीयाँ मीट जाती है|
    • मेमरी बढाने की लीये|
    • सर्दी, खाँसी, नाक, गला ठीक हो जाता है|
    • ब्रेन ट्युमर भी ठीक हो जाता है|
    • सभी प्रकार के चर्म समस्या मीट जाती है|
    • मस्तिषक के सम्बधित सभि व्याधिओको मीटा ने के लिये|
    • पर्किनसन, प्यारालेसिस, लुलापन इत्यादी स्नयुओ के सम्बधित सभि व्याधिओको मीटा ने के लिये|
    • सायनस की व्याधि मीट जाती है|
    • डायबीटीस पुरी तरह मीट जाती है|
    • टाँन्सीलस की व्याधि मीट जाती है.
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