जयहिंद
कदम- दर -कदम देश तरक्की कर रहा है ! और हालात हैं की दिनोदिन गर्त से रूबरू हो रहे हैं ! आख़िर कहाँ हम गलती कर रहे हैं ? कहाँ हो रही है चूक ?
-------------- असलियत जो भी हो ! वजहें जो भी हों ! हम अपने वतन से मोहब्बत के जज़्बे को दिल में धडकन की तरह संजोए हैं !
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