सच कहूँ तो / इन सब haiga को सहेजने और यूँ संवारने के दौरान मुझे ' पूजा - भाव ' की अनुभूति हुई !
जाने क्यूँ मन छलक -सा पड़ा !
मुझे मालूम है --------- साहित्य / प्रेम / भक्ति / योग / इन सबकी अवस्थाओं को ८ से ११ चरणों में
व्यवस्थित किया गया है !
और मैं / प्रथम सोपान पर ही ------- डगमगाने लगी / ठहर गई / मौन हो गई / शायद रिक्त भी ------------- !!!
------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
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