शनिवार, अप्रैल 26, 2014

रस्ते नेक होने लगें तो...

  आरती  और  अजानें / अगर ,
  दोनों /  एक  होने  लगें तो !

  मज़हब कई /कई मंज़िलें,
 सब रस्ते/नेक होने लगें तो!

कोई कंस  या रावण  नहीं होगा !
रेखित सिया-आंगन नहीं होगा !

शाम / सूरज  जब  भी ढलेगा !
 हर दीप ख़ुश होकर  जलेगा !
------------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति 

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