रस्ते नेक होने लगें तो...
आरती और अजानें / अगर ,
दोनों / एक होने लगें तो !
मज़हब कई /कई मंज़िलें,
सब रस्ते/नेक होने लगें तो!
कोई कंस या रावण नहीं होगा !
रेखित सिया-आंगन नहीं होगा !
शाम / सूरज जब भी ढलेगा !
हर दीप ख़ुश होकर जलेगा !
------------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
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