शनिवार, मार्च 15, 2014

होली ऐसी खेलिये :)

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कबिरा   होली  खेलिये !

मन  का  बैर   भुलाय !
पिचकारी-रंग-गुलाल,
सबपै   देय   उड़ाय !!

सब  पर  देंय  उड़ाय !
प्यार मेँ रंग सब डूबें !
होली मेँ जल जाएँ रे,
बैर  भाव  के  मंसूबे!!
------------------------------- डॉ.प्रतिभा  स्वाति

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