होली ऐसी खेलिये :)
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कबिरा होली खेलिये !
मन का बैर भुलाय !
पिचकारी-रंग-गुलाल,
सबपै देय उड़ाय !!
सब पर देंय उड़ाय !
प्यार मेँ रंग सब डूबें !
होली मेँ जल जाएँ रे,
बैर भाव के मंसूबे!!
------------------------------- डॉ.प्रतिभा स्वाति
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