मन पूछता है / बस !
कभी/उत्तर नहीं देता
उत्तर ही की ख़ोज में,
प्रश्न /ले जाते हैं/उसे ,
बियाबान में / बीहड़ में!
उन अकेली / अँधेरी ,
कंदराओं.............. में!
जहां
हर श्वास
लीन हो जाती है
अटूट ध्यान में
हो जाता है
संसार विस्मृत
जागती है कुण्डलिनी शक्तियाँ ?
भ्रमित करती हैं अष्ट सिद्धियाँ ?
तब - यम, नियम प्राणायाम
प्रत्याहार ,ध्यान और धारणा
मन को कर देते हैं मौन ,
जाग उठता है सहस्त्रार
चिर निद्रित समाधि के बाद
कौन लौटा है चिर प्रतीक्षित
प्रश्नों को
उत्तरों से संतुष्ट करने
आज भी प्रश्न
मन को ले जाते हैं
उत्तर की ख़ोज में
और उत्तर हर बार की तरह
नहीं लौटते प्रश्नों के पास .......
डॉ. प्रतिभा स्वाति
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