लालटेन / कंदील !
नहीं झुटपुटाती साँझ !
अब कहाँ उठता है धुंआ ?
घर की चिमनियों से ?
चूल्हों से / सिगड़ियों से ?
चौपालों पे चिलम फूंकते लोग ?
दोपहर में ढोलक को थाप देती ,
' बुलव्वा ' में ठठाती औरतें ?
कहाँ रम्भाती है गैय्या ?
कहाँ रहे वो पीपल ?
आंगन में फ़ुदकती गौरैय्या ?
उफ़ / शहर में जन्मी !
शहर में पली -बढ़ी -पढ़ी !
एक बार गाँव क्या देख आई !
देहाती हो गई ?
नहीं / एक पूरा गाँव ,
तमाम संस्कार और माधुर्य लिये ,
मुझमे / तुममे / हम सबमे ,
हर वक्त / साँस लेता है !
जब भी / घुटने लगे दम !
पाखंड और आडम्बर लिए ,
इस सभ्यता से / आधुनिकता से !
जाना / उस गाँव ज़ुरुर जाना !
जीने के लिये / जीवन के लिए !
असमय आए वार्धक्य में ,
लौटने को मचलते / मासूम
निर्दोष बचपन के लिए !
-------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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