दिल के किसी कोने में !
दबी चिंगारी की तरह ,
मिलते ही मौका ,
अरमान / सुलगते हैं !
सभीके के होते हैं !
पर / पूरे कब होते हैं ?
ये / धधकते हैं !
और / हम / रोते हैं !
पालते हैं / जतन से !
पर ये / नहीं लौटाते ,
सुकून / चैन / करार !
इस आग़ में / सब स्वाहा !
इसी आग़ से / बहता है ,
दर्द का दरिया / समंदर !
हर दिल के अंदर !
और हम / देखते हैं ,
रोज़ / तमाशा !
आग़ / पानी का !
ख़ुद की कहानी का !
------------------------------ डॉ . प्रतिभा स्वाति
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