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बहुत दिन हुए ,
खत नही लिखा !
बहुत दिन हुए ,
खत नही दिखा !
वो खत / जिसमे
यादों की महक ,
बसती है ?
वादों की महक ,
बसती है ?
कुछ नमक जैसे / शिकवे !
कुछ चटपटे - से गिले !
मैं उसे रोज़ पढ़ती हूँ !
और जवाब गढ़ती हूँ !
मुस्कुराती हूँ !
आंख नम करती हूँ !
बातें खुदसे / उससे ,
कम करती हूँ !
उसे नहीं छुपाती ,
किताबों में !
सरहाने भी नहीं !
हाथ में लेकर ,
सोचती हूँ , आज लिखूंगी !
पर दूर - दूर तक मुझे ,
कोई अपना नज़र नहीं आता !
कोई सपना नज़र नही आता !
क्यूँ ? मैं नहीं लिख सकती ,
खत ख़ुदको ?
पर / कलम सन्न -सी !
सूख गई है सियाही !
और / आज ,
वो ख़ाली खत भी ,
खो गया है !
ओह ! आख़िर / ये
मुझे क्या हो गया है !
---------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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बहुत दिन हुए ,
खत नही लिखा !
बहुत दिन हुए ,
खत नही दिखा !
वो खत / जिसमे
यादों की महक ,
बसती है ?
वादों की महक ,
बसती है ?
कुछ नमक जैसे / शिकवे !
कुछ चटपटे - से गिले !
मैं उसे रोज़ पढ़ती हूँ !
और जवाब गढ़ती हूँ !
मुस्कुराती हूँ !
आंख नम करती हूँ !
बातें खुदसे / उससे ,
कम करती हूँ !
उसे नहीं छुपाती ,
किताबों में !
सरहाने भी नहीं !
हाथ में लेकर ,
सोचती हूँ , आज लिखूंगी !
पर दूर - दूर तक मुझे ,
कोई अपना नज़र नहीं आता !
कोई सपना नज़र नही आता !
क्यूँ ? मैं नहीं लिख सकती ,
खत ख़ुदको ?
पर / कलम सन्न -सी !
सूख गई है सियाही !
और / आज ,
वो ख़ाली खत भी ,
खो गया है !
ओह ! आख़िर / ये
मुझे क्या हो गया है !
---------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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