सचमुच / अब ,
वो नहीं दिखती !
अब कहाँ रहे ,
वो आंगन / चौपाल ?
गोधूली बेला में ,
रंभाते हुए बछड़े !
धूल उड़ाती गैय्या ,
शोर मचाते ग्वाल !
अरे !
मेरे पास / तो बस ,
कुछ यादें हैं !
बचपन की !
भुला दूँ / तो क्यूँ आख़िर ?
और याद रखूं / तो
इनका क्या करूं फिर ?
खोजती हूँ / रोज़
और / सहेजती हूँ चित्र !
और बुन देती हूँ !
कोई गीत / कहानी !
नई नस्ल के लिये !
जैसे संजोता है किसान ,
अच्छे बीज !
उम्दा फस्ल के लिये !
----------------------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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