मंगलवार, अक्तूबर 22, 2013

जागे भारत / कुछ अंश


                   
     दिल में धधके दावानल !
और शिराओं में खौले रक्त !
एक देश और नब्ज़ एक है ,
पलटे कितने ताज़-ओ-तख्त !
----------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति

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-------------------------------------------------------------जागे भारत / भाग 2 
जब गीतों से ओज टपकता हो !
लोरी तक के भाव निराले हों !
गजलों के सब माशूक जहाँ पे ,
सिर धुन /सिज़दा करने वाले हों !
--------- जारी --------
------------------------------------------- डॉ .प्रतिभा स्वाति
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