गुरुवार, अप्रैल 28, 2016

क़िस्सा खतम ही सही

अब हर हौसला दे गया जवाब मुझको ,
रह गई दूर मंज़िल ,दो कदम ही सही !
भेजे नहीं फ़रिश्ते ,आया है बुलावा बस,
ख़ुदा की मर्ज़ी,इतना रहमोकरम ही सही 





_______________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति

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