अनर्थ --- (1)

June 25, 2013 at 1:29am
भीषण  तम !
घनघोर  उदासी  !
नदिया  प्यासी !
यूँ तो बात जरासी !

फिर भी सोचूँ !
ये बदहाली  क्यूँ  है ?
सब ख़ाली  क्यूँ ?
उत्तर देने वाला ,
सवाली क्यूँ है ?

परमेश्वर दाता !
भाग्य विधाता !
कुछ समझा पाता !
वृष्टि  का खेल ?
तेरी द्रष्टि का खेल ?
खत्म स्रष्टि का खेल ?

---------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति