रविवार, मई 18, 2014

सॉनेट / मैं भी...

 कुछ ... लिखूं मैं भी !
संसार  की तस्वीर में ,
म्यान में, शमशीर में,
मन ... दिखूं  मैं भी !

मुश्किलों में मुस्कराना !
जीवन  के  समर  में ,
मन के व्याप्त  डर में ,
नन्हा-सा दीपक जलाना !

प्रतिकूलता  के प्रवाह में !
निकलूं अजाने  सफ़र पे ,
 और पालूं ,विजय डर पे ,
सकल्प साथ  हैं ,चाह में !

 रौशनी, दूर करती अँधेरा !
अंतिम प्रहर /फिर सवेरा !
-------------------------------- सॉनेट : डॉ.प्रतिभा स्वाति

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