सोमवार, मई 19, 2014

सॉनेट / 7 कुछ उपयोगी तथ्य

 1------------ शेक्सपियर के सॉनेट अष्टपदी और षष्टपदी के बजाय तीन चतुष्पदियों और एक द्विपदी लय से बँधे हैं। भले शेक्सपियर के समकालीनों ने सॉनेट लिखे हों पर सॉनेट को साहित्यिक गरिमा शेक्सपियर ने ही दी है। सॉनेट संगीतज्ञ रोजेटी ने कहा ---- कोई भी सॉनेट परिपूर्ण है यदि उसे शेक्सपियर ने रचा है।

2--------------हिन्दी में सॉनेट बीसवीं सदी में आया। इसे हिन्दी के कुछ कवियों ने अपनाया। पर वह इनके कविता कर्म के केन्द्र में नहीं रहा। त्रिलोचन / इसके अपवाद रहे !

3-----------   सॉनेट रचना की चार कोटियाँ निर्धारित की जा सकती हैं-
1. पेट्रर्कन
2. स्पेन्सरियन
3. शेक्सपीरियन
4. मिल्टानिक

4 --------- इटली में प्रमुखतः सॉनेट के पाँच रूप भेद मिलते हैं-/ इस तरह के सॉनेट हिंदी में नहीं                       लिखे गए !
5------- सॉनेट को विशेष रूप से तीन आयामों में देखा-परखा गया है-
1. आकृति की विशिष्टता
2. भाव की विशिष्टता के साथ वैयक्तिक अभिव्यक्ति।
3. सर्वांगपूर्णता, कल्पना, प्रेरणा और माधुर्य।

6 ------ सॉनेट का वास्तविक स्वरुप तेरहवीं शती के मध्य में प्रकट हुआ । इस अवधि की कविताएँ इटली के मिलान शहर में संग्रहीत की गयी हैं ।  इन्हें इटली के अनेक प्राचीन कवियों ने रचा है ।


7 -----सॉनेट-इटेलियन शब्द sonetto का लघु रुप है । यह धुन के साथ गायी जाने वाली कविता है। ऐसी छोटी धुन जो मेण्डोलिन या ल्यूट (एक प्रकार का तार वाद्य) पर गायी जाती है। सॉनेट का जन्म कहाँ हुआ, यह कहना अनिश्चित-सा है । पर कुछ शोधकर्त्ताओं का यह मानना है कि सॉनेट ग्रीक epigram (सूक्तियों) से जन्मा होगा, लेकिन इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जाता। प्राचीन काल में epigram का उपयोग एक ही विचार या भाव को अभिव्यक्त करने के लिए होता था । कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड में प्रचलित बैले से पहले भी सॉनेट का अस्तित्त्व रहा है।
------------------------------------------------------------------   सम्पादन : डॉ. प्रतिभा स्वाति 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें