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शनिवार, जनवरी 18, 2014
भरम ( भ्रम )
या ख़ुदा / हम जब भी / इबादत करते हैं ! जाने क्यूँ / मोहब्बत का गुमाँ होता है ! तो फिर ----------- इस ज़माने को ,क्यूँ मोहब्बत में इबादत का भरम नहीं होता ? --------------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति
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