शुक्रवार, सितंबर 09, 2016

कोई कहो .....


   कोई  कहो , निष्ठुर नियति से ,
 क्या  हुआ  ,जो  लाचार  मैं  हूँ  !

खेल जो विधि ने रचा मेरे लिए ,
विस्तार उसका ,उपसंहार मैं हूँ !
_________ डॉ.प्रतिभा स्वाति




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें