शुक्रवार, मई 13, 2016

दिल जो भी कहेगा .....हम मानेंगे ?













_______________ अचानक ये मन कुछ भी फ़रमाइश क्यूँ कर बैठता है ? कल तक मैं इनकार कर रही थी _______ क्या जाना ! इतनी भीड़ ! वो आंधी और भगदड़ की ख़बरें ! 24 लोग बह गए और 10 तो जीवन से हाथ धो बैठे ! सन्यासी कह रहे हैं यदि व्यवस्था यूँ ही बनी रही तो हम वापिस चले जाएँगे ! fb से मनोज भाई उज्जैन ही के हैं , चार दिन पहले आने को पूछा था मुझसे , मैंने ख़ुशी -ख़ुशी मना किया था . फ़िर सेन सर का msg आया  वे शायद राजस्थान से हैं ! उस समय उज्जैन  थे , उनको भी मना कर दिया कि मैं आज ही दिल्ली से आगरा लौटी हूँ , उज्जैन का कोई इरादा नहीं है . उज्जैन से युसुफ़ ने भी इसी बारे में फ़ोन किया था और मैंने यही जवाब दिया .....
__________________ फ़िर आज सुबह से ऐसा क्या हुआ कि मैं जाने को तत्पर हूँ :) कहते हैं ना की जब बुलावा आता है तब जाने को मिलता है ! तो क्या आ गया बुलावा ? फ़िर जाना तो बनता है . माइंड सेट किया है . इसी के तहत माहौल बनाने की गरज़ से 5-7 को फ़ोन भी खड़का दिया . अरे भई उज्जैन रुकूँ कि इंदौर . बस से ही जाउंगी . कब कहाँ से मिलेगी ? सामान  कम ही रखना होगा . वैसे भारी लगेज़  और टैक्सी बाज़ी मैंने पिछले दो साल से छोड़ दी है !
____________ उज्जैन यानि महाकाल की नगरी ! जहाँ के सान्दिपनी आश्रम में कृष्ण ने शिक्षा पाई ! विक्रमादित्य की नगरी !क्षिप्रा का पावन तट !
_________ सिंहस्थ यानि साधू -सन्यासियों का जमावड़ा !जनमन का उमड़ता सागर ! व्यवस्था को नकारता असंतोष का शोर ! अति व्यस्त प्रशासन ! व्यस्त पत्रकार और ..... और जाने पर ही जान पाऊँगी :) 
__________ पर  कोई काम हुआ हो अब तक मन ही से , जिसमें दिमाग  ने  दखल  ना दी हो ? जब दिल और दिमाग  एक  साथ ,एक  ही  दिशा में  काम  करते  हैं तब ' कन्फयूजन ' हो  ही नहीं सकता ! ऐसे  लोग  बड़े  मस्त - मौला , बिंदास किसिम के होते हैं !  खुलके  के जीते हैं ! और  कई  बार ख़ाली  हाथ रह जाते  हैं ! तब  खनकती  हंसी में  खोखलापन  साफ़  झलकता  है .  अपन  तो भई ऐसे ही  हैं ,उनके  इस जुमले  का प्रभाव  कम  होने  लगता  है . लोग  जो उनसे  जलते थे , वही  खिल्ली  उड़ा  जाते  हैं . ऐसे  लोग  हमेशा  भीड़ में  रहते  हैं पर असल  जिंदगी  में अकेले  होते  हैं . इस सब प्रपंच  का निष्पक्ष सर्वे  करने पर  निष्कर्ष  ये  निकला  की ________ ' चूँकि जो दिल  ने कहा , दिमाग ने  साथ दे दिया ." दिमाग कहे और दिल मान ले आदर्श स्थिति ये है :)
 _______दिल  तो  बच्चे  की  मानिंद  है ! चाँद  की जानिब हाथ  फैलवा  ही देता है ! दिमाग  जानता  है , चाँद  की असलियत और इन्सान की औकात या हैसियत ! दिमाग कभी  चाँद नहीं मांगता ! जिसके  दिमाग ने चाँद  माँगा वो , चाँद तक पहुंचा . सारी  दुनिया इस सच से वाकिफ़  है 


_______________________ डॉ .प्रतिभा स्वाति

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें