शनिवार, जुलाई 29, 2017

मैं बीच की कड़ी हूँ .....

 मैं बस  यूँ ही ...
दरमियान  खड़ी  हूँ !
इधर माँ ,उधर  बेटी 
मैं बीच में खड़ी हूँ !


यहाँ  मैं माँ  हूँ ....
बेटी  नहीं  हूँ !
बेटी होकर देखूं ..
तब  माँ   नहीं हूँ !


जबसे  माँ   नहीं  हैं ...
मैं  बेटी  नहीं  हूँ  !
 पूछती  हूँ  खुदसे  ...
मैं हूँ ? या  नहीं  हूँ !

 माँ  और  बेटी ...
बेटी  और माँ  !
बिछुड़ना  नियति ...
रो रहा  आसमां !
__________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति 

2 टिप्‍पणियां: